तितली और बिरावै
An Aboriginal Story of how a Caterpillar became a Butterfly
बहुत पुरानी बात है, उन दिनों, जब धरती की रचना हो ही रही थी, केटरपिलर यानि तितली का बच्चा दुनिया को बनाने वाली आत्मा के पास आया जो झाड़ी की छाया में आराम कर रही थी।
"तुम कौन हो?" केटरपिलर ने पूछा।
"मैं बिरावै हूँ" आत्मा ने उत्तर दिया।
"और मैं पौधों, पेड़ों और घास का ध्यान रखता हूँ। मैं फूलों में रंग भरता हूँ और किसी भी ऐसी चीज़ में जिसे रंगने की ज़रुरत है, रंगता हूँ ।"
"आप बहुत थके हुए लग रहे हैं, क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूँ?" केटरपिलर ने पूछा।
"तुम ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते, मुझे उस तरफ दलदल में पीले घंटी जैसे फूलों को रंगना बाकी है।" बिरावै ने कहा
"शायद मैं आपके लिए आपके रंग उठा सकता हूँ।“ केटरपिलर ने पूछा “क्या यह ठीक है?"
तो बिरावै ने कहा कि ठीक है।
तीन दिनों तक, केटरपिलर रंग ले जाता रहा, जब वह आत्मा फूलों को रंग रही थी। उसमें से रंग के कुछ छीटें केटरपिलर पर भी पड़े, पर उसे बुरा नहीं लगा, क्योंकि उसे मदद करना अच्छा लग रहा था।
एक दोपहर को जब छोटी आत्मा बादल और डूबते हुए सूरज को रंगने के लिए, पश्चिम की ओर उड़ गई, तो एक दुष्ट पक्षी जिसका नाम विली वैगटेल था, केटरपिलर से बोला-
"तुम उड़ना क्यों नहीं सीखते?"
केटरपिलर ने पूछा "मैं कैसे उड़ सकता हूँ? मेरे तो पंख ही नहीं हैं।"
विली वैगटेल बोला,"अगर तुम मेरे साथ आओगे, तो मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि पंख कैसे उग सकते हैं।"
तो वह केटरपिलर को अपने साथ वहाँ ले गया जहां उसके हिसाब से जादू की झाड़ी थी और उसने कहा कि अगर केटरपिलर झाड़ी पर लगी सारी पत्तियां खा लेगा, तो उसके पंख उग आएँगे। विली वैगटेल ने केटरपिलर से पत्तियां खाने को कहा था, उसका असली कारण यह नहीं था, लेकिन केटरपिलर ने उसकी बात पर विश्वास किया और रोज़ ढेर सारी पत्तियां खाने लगा। वह पंख उगाने के लिए इतना उत्सुक था कि वह पूरी- पूरी रात खाता, अभी भी हर रोज़ आत्मा के पास बहुत सारा काम करने को था। ऑरकिड्स के अलावा, बैरी जैसे छोटे फलों में भी रंग भरने थे, कुछ लाल रंग के, तो कुछ नीले और कुछ संतरी रंग के, व कुछ बैंगनी भी थे। केटरपिलर दिन में बिरावै की मदद करता रहता और रात भर पत्तियां खाता रहता। वह बहुत ज़्यादा थकने लगा।
एक दिन, एक मकड़ा, जो छोटी झाड़ी के किनारे पेड़ पर रहता था,केटरपिलर से बोला,
"तुम इतनी मोटे हो गए हो, बहुत जल्दी तुम चल-फिर भी नहीं पाओगे और विली वैगटेल तुम्हें खा जाएगा।"
केटरपिलर ने कहा, "मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था, मैं कहाँ छिप सकता हूँ? क्या तुम मेरी मदद करोगे, प्लीज़?"
तो मकड़ा अपने पेड़ से नीचे उतरा और उसने केटरपिलर से कहा कि वह कुछ टहनियां व सूखी पत्तियां लाए और उसने अपने जाले वाले बारीक धागे से जोड़ कर उसने एक थैला सा बुन दिया। उसने केटरपिलर से रेंग कर अन्दर आने को कहा, और उसने इस थैले को उस झाड़ी पर टांग दिया, जिसमें अब कोई भी पत्ती नहीं बची थी, और केटरपिलर को जल्दी ही नींद आ गई।
अब, मेलोंग देवता, जो गलत काम करने वालों को सज़ा देते थे, यह सब देख रहे थे और उन्हें लगा कि हर रोज़ बिरावै की मदद करने के लिए केटरपिलर को इनाम देना चाहिए, जब केटरपिलर सोया, तो मेलोंग देवता ने उसके ऊपर सुन्दर पंख लगा दिए। जब केटरपिलर सोकर उठा, तो वह इतना खुश हुआ कि वह अपने मित्र, फूलों को रंगने वाली आत्मा की खोज में उड़ गया।
जब दुष्ट पक्षी विली वैगटेल यह देखने आया कि केटरपिलर खाने के लायक मोटा हो गया है, तो उसे वह कहीं नहीं मिला, जो कुछ उसे मिला, वह थी खाली झाड़ी। जिसमें न तो पत्तियां थीं और न ही केटरपिलर।
मकड़े ने कहा, "यदि तुम केटरपिलर को ढूंढ रहे हो, तो वह अब उस तरफ है।"
यह कहकर उसने एक सुन्दर तितली की ओर इशारा किया जिसके पंखों में तरह-तरह के रंग थे, और जो एक फूल से दूसरे फूल पर उड़ रही थी।
विली वैगटेल ने कहा "पर ऐसा नहीं हो सकता, केवल उन पत्तियों को खाने से ही
उसके पंख नहीं उग सकते।"
मकड़े ने कहा "पत्तियों से नहीं, केटरपिलर उस छोटे से घोंसले में सोया और अगले दिन सुबह
उसके वे सुन्दर पंख निकल आए।"
विली वैगटेल ने कहा,"अच्छा" ! अगर केटरपिलर ऐसा कर सकता है, तो मैं भी ऐसा कर सकता हूँ।"
और तब से अब तक वह ऐसा कर रहा है, पर अब तक उसके तितली जैसे सुन्दर पंख नहीं हैं। तितली अब भी फूलों में रंग भरने में मदद करती है, पर इन दिनों वह बिरावै को अपनी पीठ पर बिठा कर लाने में भी मदद करती है।
ड्रीम टाइम और एबोरीजनल्स के बारे में जानने के लिए मेरा लेख 'ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी' पर क्लिक करें
दाहिने हाथ पर
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Hindi Translation for an Animation Film By Rekha Rajvanshi
Beautiful story ... Keep it up .
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