Thursday, September 1, 2011

मन वृन्दावन हो जाता


आ जाती जो खबर तुम्हारी
मन वृन्दावन हो जाता
भावों की फिर रिमझिम होती
मरुथल सावन हो जाता 

एक आरती फिर जल जाती
अगर धूप की खुशबू आती
द्वार रंगोली फिर सज जाती
आँगन पावन हो जाता

सारे दर्द पिघल जाते 
और सारे शिकवे मिट जाते
इस धरती से उस अम्बर तक
चन्दन-चन्दन हो जाता 

चाँद सितारे फिर मुस्काते
सौ सन्देश तुम्हें पहुंचाते
चम्पा और चमेली खिलतीं 
सुरभित जीवन हो जाता 

हरसिंगार फिर झरने लगते
महक पुरानी भरने लगते
बजने लगती कहीं बांसुरी
सारा आलम खो जाता

पर तुम हो आवारा बादल
विरहिन की आँखों का काजल
अगर बरसते  तो गंगाजल 
मनवा दर्पण हो जाता 

रेखा राजवंशी 

8 comments:

  1. HRIDAY SPARSHEE GEET KE LIYE AAPKO DHERON
    BADHAAEEYAN AUR SHUBH KAMNAAYEN .

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  2. कविता के भाव मन को छू गए

    हम सब मिल कर गीले शिकवे दूर कर लेते
    क्षमा क्षमा दिवस क्षमा मांग गले मिल जाते
    शुभ कामनाएँ
    गुड्डो दादी चिकागो से

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  3. रेखा जी - बहुत ही मनभावन रचना है आपकी - सचमुच मुझे बहुत अच्छा लगा पढ़कर - एक एक शब्द करीने से सजाया है आपने - वाह क्या बात है?

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  4. गजल है यह। अच्छा लगा पढ़ना।

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  5. रेखा जी, अति सुंदर लगा यह गीत. गीतों को कितने चाव से पढ़ता था, इस का एक nostalgia सा हो गया. और अधिक प्रकाशित कीजिये, ये प्यारे प्यारे गीत.

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  6. मन को छूने वाला गीत… बधाई !

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  7. Hello Rekha ji,

    It is such a touching poem. I remember my old days.

    Congratulations for writing such a nice poetry.

    Regards,

    Kishore and Abha

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  8. ह्रदय को छो लेने वाली कविता है

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