Thursday, January 20, 2011

बुल्ब्री An Aboriginal story (4) of How the Koala was made

बुल्ब्री कोआला
An Aboriginal story of How the Koala was made



सपने की दुनिया में, एक छोटा लड़का था जिसका नाम बुल्ब्री था।

बुल्ब्री को पेड़ों पर चढ़ना बहुत पसंद था, जब उसकी माँ और कबीले की अन्य औरतें अपने खेमे के बाहर खाना इकट्ठा करने जातीं। एक दिन, जब औरतें खाना इकठ्ठा कर रहीं थी, बुल्ब्री ने अपनी माँ से पूछा कि क्या वह जाकर पेड़ों पर चढ़ सकता है, हमेशा की तरह जैसा वह अक्सर करता था।

उसकी माँ ने कहा, "ठीक है, अगर तुम बहुत दूर नहीं जाते और खाना इकट्ठा करके हमारे जाने से पहले आ जाते हो, तो ठीक है।"

वह बुल्ब्री से हमेशा सावधान रहने को कहती। उसने बुल्ब्री से कहा  कि वह अपने इलाके की सीमा के बाहर नहीं जाए, क्योंकि डिरगन औरत पास में हो सकती हैं।

डिरगन औरत बहुत ताकतवर जादूगरनी थी, और अपनी शक्ति वह बुरे कामों में इस्तेमाल करती थी लेकिन बुल्ब्री छोटा था और किसी भी चीज़ से नहीं डरता था। तो वह पेड़ों के बीच खेलने चला गया। जब वह पेड़ों के बीच खेल रहा था, उसने ध्यान नहीं दिया कि वह कितनी दूर आ गया है, और उसे भूख लगने लगी, तो उसने एक बड़े गोंद के पेड़ से मुट्ठी भर पत्तियाँ तोड़ लीं, और उन्हें खाने लगा।

समय अच्छा बीत रहा था और उसने अपने मन में सोचा "कितना अच्छा होता कि अगर मैं पेड़ों में ही रह सकता, तो कोई भी मुझसे न कह पाता कि क्या करना है।"

और उस समय, डिरगन जादूगरनी ने बुल्ब्री की प्रार्थना सुन ली, और कहा "अगर वह हमेशा के लिए पेड़ों में ही रहना चाहता है, तो ऐसा ही होगा।"

जब उसने ऐसा कहा, तब जादू से अपनी बड़ी ताकतों को बुलाया, हवा में अपनी बाँहे घुमाते हुए बुल्ब्री पर एक जादू फेंका।

छोटे लड़के को पता नहीं था कि क्या हो रहा हैउसका शरीर एक जानवर में बदलने लगा,  उसके शरीर पर भूरे बाल उगने लगे। उसके हाथ जैसे पंजों में जकड़ने लगे, डर के मारे, वह अपनी माँ को पुकारने लगा। लेकिन उसे अपनी आवाज़ ही वापिस सुनाई दी, जो एकदम बदल गई थी ठीक उसी समय, बुल्ब्री की माँ चिंता करने लगी कि वह कहाँ होगा जब दूर से, उसे एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी,  तो वह तेज चिल्लाहटों की दिशा में दौड़ी।

वह दौड़ती रही, दौड़ती रही, तब अचानक चिल्लाहट और तेज सुनाई देने लगी। उसने देखा कि चिल्लाने की आवाज़ पेड़ों के ऊपर से आ रही है। उसने ऊपर नज़र उठाई तो देखा एक बालों वाला, छोटा, भूरे रंग का भालू जैसा जानवर गोंद के पेड़ की डालियों के बीच बैठा है लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और अपनी खोज जारी रखी, वह चिल्लाती रही,
"बुल्ब्री! बुल्ब्री! तुम कहाँ हो?"

छोटा बुल्ब्री बस रोता रहा और माँ उसे ढूंढती रही मगर उसे छोटा बुल्ब्री कभी नहीं दिखा। बुल्ब्री कोआला बन गया (एक ऑस्ट्रेलियन पशु जो पेड़ पर रहता है और गोंद के पेड़ की  पत्तियाँ खाता  है) आज तक, कोआला अपने रूप बदलने की डरावनी कहानी को याद रखता है और पेड़ों में छिपा रहता है, नीचे आने से डरता है और अभी भी अपनी माँ को पुकारता है। 



कोआला कैसा पशु है?   कोआला एक ऑस्ट्रेलियन पशु है जो भालू से  मिलता-जुलता है
ये सलेटी रंग का होता है, पर कहीं-कहीं भूरा रंग भी दिखाई देता है , कोआला का वजन करीब नौ किलो तक होता है। कोआला मांस नहीं खाता, यूकलिप्टस पेड़ की पत्तियाँ खाता है। कोआला का नाम आदिवासी भाषा से आया है जिसका मतलब है 'पानी नहीं ' कोआला पानी नहीं पीता, बल्कि गोंद यानि यूकलिप्टस की पत्तियों से ही पानी की कमी पूरी करता है । पर जब वह बीमार होता है तो थोड़ा पानी पीता है। कोआला भी कंगारू की तरह अपने बच्चे को अपने शरीर से जुड़ी थैली में ही पालता है और बड़ा करता है

ड्रीम टाइम और एबोरीजनल्स के बारे में जानने के लिए मेरा लेख 'ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी' पर क्लिक करें
दाहिने हाथ पर

Hindi Translation for an Animation Film By Rekha Rajvanshi

1 comment:

  1. रोचक और ज्ञानवर्धक. सहज भाषा में सुन्दर निरूपण.

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