Sunday, February 20, 2011

Bauhinia vahlii flowers कचनार के फूल एक नया गीत

     कचनार के फूल

  फूल फिर खिलने लगे कचनार के
  आ गए हैं दिन पुराने, प्यार के ।

  छेड़ना, रोना, झिझकना, रूठना
  आ गए दिन मान के, मनुहार के ।




  भाये आईने में खुद को देखना
  आ गए दिन साज के, श्रृंगार के ।

  हाथ में मेंहदी मिलन की रच गई
  द्वार फिर खुलने लगे अभिसार के ।

 मन बना चन्दन सुगन्धित हो गया
 दूर सब शिकवे हुए संसार के ।



रेखा राजवंशी 

1 comment:

  1. बहुत खूबसूरत गीत ! शब्द -चयन बहुत सार्थक और बिम्बधर्मी है । रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

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