ग़ज़ल
कुछ न किसी से कहें जनाब
अच्छा है चुप रहें जनाब
दुनिया
बेहद जालिम है
हंस के सब कुछ सहें जनाब
पत्थर से न सख्त रहें
पानी बन के बहें जनाब
और कभी तो खोलें भी
अपने मन की तहें जनाब
कुछ तो मज़बूती रखिये
बालू से न ढहें जनाब
खाली झोली क्यों देखें
जितना है, खुश रहें जनाब
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