Saturday, February 26, 2011

2011 NSW Premier's Indian subcontinent community awards

 


सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में 18 फरवरी की शाम गवर्नमेंट हाउस में न्यू साउथ वेल्स की प्रीमियर क्रिस्टीना कनीली ने भारतीय सबकॉन्टिनेंट कम्यूनिटी अवार्ड से भारतीय मूल के छः व्यक्तियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया


इन अवार्ड्स की घोषणा पिछले साल नवम्बर में दीवाली के कार्यक्रम के दौरान पार्लियामेंट हाउस में की गई थी और इनके लिए नामांकन दिसंबर में खुला था अवार्ड की घोषणा के पीछे एक ही उद्देश्य था कि उन लोगों के कार्य का सम्मान किया जाए जिन्होंने किसी भी क्षेत्र में अपना योगदान दिया है, मुख्य रूप से जिन पांच क्षेत्रों की घोषणा की गई वे थे  ट्रेड और इंडस्ट्री, आर्ट और कल्चर, कम्यूनिटी हार्मनी, और लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड।

इस कार्यक्रम में गवर्नमेंट हाउस में अनेक जाने-माने लोग उपस्थित थे, जिनमें भारत के कौंसल जनरल अमित दासगुप्ता के अलावा भारतीय विद्या भवन के गंभीर वाट्स, अन्य संस्थाओं के संचालक और मीडिया के लोग भी थे। आकर्षण की बात ये भी थी कि प्रीमियर क्रिस्टीना कनीली ने भारतीय परिधान यानि साड़ी पहनी थी, जो हल्के नीले रंग की थी और जिसमें वे बेहद सुन्दर लग रहीं थीं । प्रवासी भारतीयों ने उनके इस प्रयास की तहे दिल से प्रशंसा की, ज़ाहिर है कि प्रीमियर ने सबका दिल जीत लिया । हल्के खान-पान के बीच ही प्रीमियर का भाषण शुरू हुआ निस्में उन्होंने कहा कि न्यू साउथ वेल्स में करीब
100 ,000 भारतीय मूल के निवासी हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के समाज का एक महत्वपूर्ण अंग हैं । समुदाय के लोगों ने अनेक क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है जैसे शिक्षा, व्यवसाय, कला और सार्वजनिक सेवाएं और भारतीय मूल के लोग वाकई में हमारे समाज का महत्वपूर्ण अंग हैं  प्रीमियर ने अवार्ड जीतने वाले लोगों को न्यू साउथ नेल्स सरकार की ओर से बधाई देते हुए कहा कि नौकरी और परिवार में संतुलन करते हुए समाज के लिए कुछ कर पाना वाकई प्रशंनीय है
2011 के अवार्ड जीतने वाले व्यक्ति थे:
श्री चंद्रू तुलानी- जिन्हें ट्रेड और इंडस्ट्री के लिए सम्मानित किया गया, चंद्रू तुलानी 1975 में ऑस्ट्रेलिया आए और अपनी मेहनत से सबसे बड़े इम्पोर्टर बन गए, उन्होंने होटल व्यवसाय में भी सफलता पाई।
आर्ट्स और कल्चर का अवार्ड मिला सिडनी की जानी-मानी एस बी एस रेडियो के हिन्दी विभाग की प्रोड्यूसर कुमुद मीरानी को, जो समय-समय नाटक और कला के क्षेत्र में योगदान देती रही हैं, कुमुद मीरानी को अपनी रेडियो डोक्यूमेंटरीज़ के लिए पहले भी एशिया पैसिफिक ब्रोडकास्टिंग यूनियन अवार्ड और इंटरनैशनल एशियन रेडियो अवार्ड भी मिल चुके हैं
कम्यूनिटी हार्मनी का अवार्ड मिला श्री पवन लूथरा को जो इन्डियन लिंक समाचार पत्र के सम्पादक तो हैं हीअन्य सामुदायिक क्षेत्रों में भी अपना योगदान देते रहते हैं, इन्डियन लिंक समाचार पत्र के माध्यम से पवन हर विषय पर एक संतुलित दृष्टिकोण लोगों तक पहुंचाते रहे हैं ख़ास कर भारतीय विद्यार्थियों के साथ हुई घटनाओं के मामले में । इसके अलावा कॉमनवेल्थ खेलों या यूरेनियम जैसे मुद्दों को भी उन्होंने अच्छी तरह से लोगों तक पहुंचाया था
लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दो लोगों को दिया गया जिनमे एक थे डा० सिधालिंगेश्वर ओरिकोंडे और डा० गुरचरण सिंह सिधू, जिन्होंने पिछले कई सालों से समुदाय में महत्वपूर्ण योगदान दिया है
एक युवा छात्र मोहित तुलानी को कम्यूनिटी सर्विस अवार्ड मिला  मोहित ने अनेक स्वैच्छिक प्रोजेक्ट्स में, विभिन्न संस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण काम किया है और आजकल वह मल्टीकल्चरल यूथ नेटवर्क का सक्रिय सदस्य है, पहले भी उसे अनेक अवार्ड मिल चुके हैं


बाद में डा० एंड्रयू मक्डोनाल्ड, जो कि पार्लियामेंट्री फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया के सह-संयोजक हैं, ने अवार्ड विजेताओं को बधाई दी और कहा कि भारतीय प्रवासियों के काम की सराहना करने की दिशा में यह एक प्रयास है
भले ही अगले महीने होने वाले चुनावों के मद्देनज़र सरकार ने यह कदम उठाया है, और शायद भारतीय प्रवासियों के वोट लेने के लिए उन्हें खुश किया गया है, जो भी कुछ हो पर भारतीय समुदाय ने कठिन परिश्रम करके ऑस्ट्रेलिया में जो जगह बनाई है और जो नाम कमाया है उसी के चलते आज सरकार उन्हें सम्मानित कर रही है यहाँ तक कि प्रीमियर ने अपने चुनाव अभियान में हिन्दी का एक वाक्य 'मुझे  आपका सहयोग चाहिए' बोलकर सबको चमत्कृत किया है चूंकि ऑस्ट्रेलिया एक बहु-सांस्कृतिक समाज है, जिसमें अनेक देशों के लोग रहते हैं और करीब साठ मुख्य भाषाओं के अलावा कई अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं, इसीलिये इस चुनाव-अभियान का प्रचार हिन्दी के साथ-साथ कुछ अन्य भाषाओं में भी अनुवादित कराया गया है । इस बार नए साल के फायर वर्क्स के मौके पर भी हार्बर ब्रिज पर अन्य भाषाओं के साथ हिन्दी में लिखा गया 'सिडनी में आपका स्वागत है', राजनीति कहें या बहु-संस्कृतिवाद, पर ये तो मानना पड़ेगा कि भारतीय समुदाय एक शक्ति के रूप में उभर रहा है और इसे अब अनदेखा नहीं किया जा सकता, और जाने-अनजाने ही पर हिन्दी का प्रचार  भी हो ही रहा है



रेखा राजवंशी
सिडनी ऑस्ट्रेलिया

Sunday, February 20, 2011

Bauhinia vahlii flowers कचनार के फूल एक नया गीत

     कचनार के फूल

  फूल फिर खिलने लगे कचनार के
  आ गए हैं दिन पुराने, प्यार के ।

  छेड़ना, रोना, झिझकना, रूठना
  आ गए दिन मान के, मनुहार के ।




  भाये आईने में खुद को देखना
  आ गए दिन साज के, श्रृंगार के ।

  हाथ में मेंहदी मिलन की रच गई
  द्वार फिर खुलने लगे अभिसार के ।

 मन बना चन्दन सुगन्धित हो गया
 दूर सब शिकवे हुए संसार के ।



रेखा राजवंशी 

Sunday, February 13, 2011

Love and Osho, On Valentines Day




ओशो और प्रेम


शायद सच है
कि घृणा ही प्रेम है
और प्रेम ही घृणा

ओशो ने कहा था
कि जिससे हम प्रेम करते हैं
उससे ही घृणा भी करते हैं
और आशा जब बदलती है
निराशा में
तो हम दुखी होते हैं
अपनी उपेक्षा पर रोते हैं
मूर्खता है, प्रेम में
प्रतिदान की आशा करना
बेहतर
है प्रेम से
दूसरों की झोली भरना

और तब मैं अपनी
मूर्खता पर पछताती हूँ
और तुम्हें बहुत करीब पाती हूँ
और पुनः तुमसे
प्रेम करने लगती हूँ


Saturday, February 12, 2011

Echoes of the past अतीत की प्रतिध्वनि

अतीत की प्रतिध्वनि

वर्तमान जब अतीत में बदलता है
तो न मैं, न तुम, न कोई और ही
समूचा रह पाता है ।

एक भाग जीवन का
चाहे छोटा सा हो
चाहे हँस
के बीता हो या रो के
महकते हुए गुलाब की तरह
या चुभते हुए कांटे की तरह
बस के रह जाता है
मानस पटल में ।

क्या हम बीनते नहीं रहते
सीपें सागर तट पर?
बनाते नहीं रहते घरौंदे
तन्हाई में खेलने के लिए?
क्या हम जलाते नहीं रहते दीप
अँधेरे में रौशनी की
एक किरण पा लेने के लिए?

रिश्ते, चाय के प्याले की तरह
बासी नहीं होते
बस जाते हैं, मनो-मस्तिष्क में
बरसों तक आँगन में खिली
तुलसी की तरह।

मिलन का अंत सदैव विरह है
परन्तु विरह उपलब्धि है
खट्टी-मीठी स्मृतियों की
खाली झोली भर उठती है
फिर अतीत की प्रतिध्वनि
बरसों तक गूंजती रहती है
और जाने कब वर्तमान
अतीत बन जाता है ।

रेखा राजवंशी
काव्य संकलन 'अनुभूति के गुलमोहर' से एक कविता




Friday, February 4, 2011

पिघलता अस्तित्व Melting Existence





पिघलता अस्तित्व


कंगारूओं के देश में 
कभी-कभी
अस्तित्व पिघलता है
फूलों पर जमी
ओस की तरह
अलस्सुबह टपकता है ।

कन्धों पर उठा लेती हूँ मैं
गुज़रे हुए वक़्त की नदी
नदी के कच्चे किनारे
और नदी के किनारे उगा हुआ
पुराना विशाल बरगद
प्रयास करती हूँ निरर्थक
रोकने का उस सुनामी को
जो हमारे बीच आती है

नदी रुकती नहीं
पर बाढ़ थम जाती है ।
और मैं खिड़की के पास खड़ी
करने लगती हूँ पीछा
रात के दामन में फैले
छोटे-छोटे सितारों का
जिसमें मौजूद है
इसका, उसका, तुम्हारा ख्याल

रेखा राजवंशी