Hindi with Rekha in Australia
This blog has my Hindi poems, articles and stories, mainly based on my migrant experiences in Australia. इस ब्लॉग में मेरी साहित्यिक रचनाएं हैं, आशा है सुधी पाठक पढ़ कर विचार व्यक्त करेंगे।
Thursday, September 5, 2024
Tuesday, January 18, 2022
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी विदेश प्रसार सम्मान 2020
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी विदेश प्रसार सम्मान 2020 के लिए मेरे चयन हेतु उत्तर प्रदेश संस्थान और सरकार का अतिशय धन्यवाद।
उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री ह्रदय नारायण दीक्षित, एवम उत्तरप्रदेश संस्थान के कार्याध्यक्ष श्री सदानन्द गुप्त जी द्वारा सम्मान प्राप्त करते हुए चित्र साझा कर रही हूँ ।
महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी द्वारा पुस्तक का विमोचन
कल महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी ने मेरी पुस्तक का विमोचन किया। उनसे ऑस्ट्रेलिया में हिंदी की स्थिति के बारे में बातचीत हुई। री किताब से कुछ स्वयं पढ़ा, कुछ मुझे सुनाने के लिए कहा। मेरी बेटी आस्था से मिलकर खुश हुए, उसके काम के बारे में पूछा। उनकी त्वरित बुद्धि और विनोदी स्वाभाव के कारण हल्के फुलके माहौल में गम्भीर विषयों पर चर्चा हुई। आधा घंटा कब बीता, पता ही नहीं चला।
Wednesday, September 1, 2021
चिट्ठियाँ - रेखा राजवंशी
बादलों के डाकिये के साथ फिर
भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ
नदी नाले और पर्वत पार कर
प्रेम की गंगाजली की धार पर
काल की सीमा समय को काट कर
दर्द की कुछ बदलियों को छाँट कर
बादलों के डाकिये के साथ फिर
भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ
हीर के उस इश्क के अंदाज़ में
जूलियट के दर्द के अल्फ़ाज़ में
सावनी रिमझिम के मोती टांक कर
चूम अधरों से उसे फिर ढांक कर
बादलों के डाकिये के साथ फिर
भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ
Sunday, August 15, 2021
बहुत छोटी बहर की ग़ज़ल - रेखा राजवंशी
Monday, March 1, 2021
Monday, September 21, 2020
Tuesday, September 1, 2020
बासंती धूप
खिली नई बासंती धूप
मौसम ने बदला है रूप
Sunday, August 16, 2020
स्वतंत्रता दिवस पर मुक्तक - रेखा राजवंशी
1.
सीमा पे एक सिपाही जो शहीद हो गया
न जाने कितने खार सबके दिल में बो गया
कि जैसे कायनात ही सारी ठहर गई
कोई सितारा आसमाँ से आज खो गया

2.
इस तिरंगे पर सभी को नाज़ हो
और तरक्की का नया अंदाज़ हो
कामयाबी देश के चूमे कदम
अब नए आयाम का आगाज़ हो
Friday, July 17, 2020
Sunday, June 14, 2020
Saturday, June 6, 2020
पतझड़
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए
पत्ते ताली बजा बजा कर
ढूंढें मीत नए
बौराए बादल ने भी रच डाला अपना राग
सूर्यदेव ने धीमी कर दी वहां गैस की आग
शाम आज कुछ जल्दी आई
रस्ते रीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए
चंदा ने अपने दरवाज़े बंद कर लिए कैसे
जला अंगीठी बैठे तारे हाथ सेंकते जैसे
रात बहुत सन्नाटा लाई
जुगनू जीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए
कैडबरीज सी मीठी जाने कितनी यादें लाई
सोचे मन कि बिना तुम्हारे
बरसों बीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए