Thursday, September 5, 2024

अनुत्तरित प्रश्न - कहानी रेखा राजवंशी

 


कथा, कथाकार और पाठक - रेखा राजवंशी की कहानियां


 

आशा की लौ - कहानी रेखा राजवंशी


 

रेखा राजवंशी की कहानी - प्रथम विश्वयुद्ध पर आधारित कहानी गरमागरम पकौड़े |

 


रेखा राजवंशी की कहानी - ब्यूटी पार्लर


 

रेखा राजवंशी की कहानी - वह अधूरी नहीं


 

रेखा राजवंशी की कहानी - अनंत यात्रा

 


रेखा राजवंशी की कहानी - गोरी डायन


 

रेखा राजवंशी की कहानी - फेयरवेल


 

सच्चाई - कहानी रेखा राजवंशी







Tuesday, January 18, 2022

भारतीय संस्कृति के संवाहक: नमस्ते यू.पी - रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया

 


उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी विदेश प्रसार सम्मान 2020


उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा हिंदी विदेश प्रसार सम्मान 2020 के लिए मेरे चयन हेतु उत्तर प्रदेश संस्थान और सरकार का अतिशय धन्यवाद।

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष श्री ह्रदय नारायण दीक्षित, एवम उत्तरप्रदेश संस्थान के कार्याध्यक्ष श्री सदानन्द गुप्त जी द्वारा सम्मान प्राप्त करते हुए चित्र साझा कर रही हूँ ।



मुंबई हिन्दी लिटफेस्ट के लिए कवयित्री रेखा राजवंशी से केशव राय की चर्चा ।




महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी द्वारा पुस्तक का विमोचन

 कल महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी ने मेरी पुस्तक का विमोचन किया। उनसे ऑस्ट्रेलिया में हिंदी की स्थिति के बारे में बातचीत हुई। री किताब से कुछ स्वयं पढ़ा, कुछ मुझे सुनाने के लिए कहा। मेरी बेटी आस्था से मिलकर खुश हुए, उसके काम के बारे में पूछा। उनकी त्वरित बुद्धि और विनोदी स्वाभाव के कारण हल्के फुलके माहौल में गम्भीर विषयों पर चर्चा हुई। आधा घंटा कब बीता, पता ही नहीं चला।

डॉ प्रमोद पांडेय जी का हार्दिक धन्यवाद जिन्होंने अपनी संस्था हिंदी अकादमी, मुंबई’ की तरफ से मुझे शिक्षा भूषण सम्मान-2021 प्रदान कियाI सारी व्यवस्था उन्होंने ही की और ऑस्ट्रेलिया वापस जाने के पहले ये अविस्मरणीय क्षण मेरे नाम लिख दिए।




मुंबई में अनूप जलोटा जी से मिलना एक आनंददायक क्षण था। उनको अपनी नज़्मों की किताब भेंट की और उन्होंने मेरी एक नज़्म की धुन बनाई और गाने लगे।


 

Wednesday, September 1, 2021

चिट्ठियाँ - रेखा राजवंशी

 

 

बादलों के डाकिये के साथ फिर 

भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ

 

नदी नाले और पर्वत पार कर

प्रेम की गंगाजली की धार पर 

काल की सीमा समय को काट कर

दर्द की कुछ बदलियों को छाँट कर

 

बादलों के डाकिये के साथ फिर 

भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ

 

हीर के उस इश्क के अंदाज़ में

जूलियट के दर्द के अल्फ़ाज़ में

सावनी रिमझिम के मोती टांक कर

चूम अधरों से उसे फिर ढांक कर 

 

बादलों के डाकिये के साथ फिर 

भेजनी हैं आज तुमको चिट्ठियाँ

 

 

 

Sunday, August 15, 2021

मेरी नई किताब - ये कितनी बार होता है


 


बहुत छोटी बहर की ग़ज़ल - रेखा राजवंशी






पास आओ तो ज़रा
मुस्कुराओ तो ज़रा

-रात भी गाने लगे
गुनगुनाओ तो ज़रा

-शाम है तन्हा बहुत
साथ आओ तो ज़रा

-कौन जीता है सदा
ये बताओ तो ज़रा

-यूँ न रूठो हमसे तुम
मान जाओ तो ज़रा

-है मुहब्बत गर तुम्हें
तो जताओ तो ज़रा
-रेखा राजवंशी

Monday, March 1, 2021

किताबघर प्रकाशन से मेरी कहानियों की पहली किताब

Available on Amazon

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Monday, September 21, 2020

Tuesday, September 1, 2020

बासंती धूप



खिली नई बासंती धूप 

मौसम ने बदला है रूप 

-
जाड़े ने धीरे से बंद किए दरवाज़े ...
फूलों के नए रंग हर क्यारी में साजे
सबको भाया ये स्वरूप
खिली नई बासंती धूप 

-
मन हुआ तरंगित जब, गूंजा बसंत राग
नव पल्लव, नव सौरभ, बिखरा गंधित पराग
रिक्त हुए अंधियारे कूप
खिली नई बासंती धूप 


-
पंछी चहके चहके, बगिया महके महके
फिर प्रेमी युगलों के, मन हैं बहके बहके
बिखराए सूरज ने लूप*
खिली नई बासंती धूप
- रेखा
लूप= coronal loops in the sun’s atmosphere

Sunday, August 16, 2020

स्वतंत्रता दिवस पर मुक्तक - रेखा राजवंशी

1. 

सीमा पे एक सिपाही जो शहीद हो गया 

न जाने कितने खार सबके दिल में बो गया 

कि जैसे कायनात ही सारी ठहर गई 

कोई सितारा आसमाँ से आज खो गया 


2. 

इस तिरंगे पर सभी को नाज़ हो 

और तरक्की का नया अंदाज़ हो 

कामयाबी देश के चूमे कदम 

अब नए आयाम का आगाज़ हो 

Friday, July 17, 2020

Saturday, June 6, 2020

नवगीत
पतझड़
रेखा राजवंशी


आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए
पत्ते ताली बजा बजा कर
ढूंढें मीत नए

बौराए बादल ने भी रच डाला अपना राग
सूर्यदेव ने धीमी कर दी वहां गैस की आग
शाम आज कुछ जल्दी आई
रस्ते रीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए


चंदा ने अपने दरवाज़े बंद कर लिए कैसे
जला अंगीठी बैठे तारे हाथ सेंकते जैसे
रात बहुत सन्नाटा लाई
जुगनू जीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए


वार्डरोब से याद तुम्हारी चुपके चुपके आई
कैडबरीज सी मीठी जाने कितनी यादें लाई
सोचे मन कि बिना तुम्हारे
बरसों बीत गए
आज हवा ने फिर पतझड़ पर
लिक्खे गीत नए

Tuesday, April 7, 2020