नव लय, नव गति
सुख लाया रे बसंत
सुख लाया रे बसंत
आम पर बौर आई
सरसों हरषाई
सरसों हरषाई
हरियाली देखो छाई
अब दिग-दिगंत
अब दिग-दिगंत
इठलाती है पवन
सुरभित उपवन
सुरभित उपवन
पुलकित हुआ तन
गीत गूंजे मन-मन
गीत गूंजे मन-मन
फूल
मुस्काए
भँवरे मंडराए
भँवरे मंडराए
ऋतुराज
इठलाए
उड़ता है मकरंद
उड़ता है मकरंद
हाइकू
1.
बसंत आया
आम बौराया
2.
पलाश फूला
पेड़ से बाँध दिया
रेशमी झूला
3.
सुमन खिले
भँवरे मंडराए
दो दिल मिले
4.
पीली-लुनाई
गोरी के नयनों में
खुमारी छाई
5.
नीम बौराई
सजनी इतराई
पिया को भाई
No comments:
Post a Comment