Saturday, December 20, 2014

अच्छा लगता है कभी-कभी!

अच्छा लगता है कभी-कभी
चुप्पियों से बातें करना
कुछ कहना, कुछ सुनना
हवाओं में कुछ गुनना

अकेलेपन से लड़ना
यादों में हुलसना 
अनुत्तरित प्रश्नों पर
बार-बार उलझना

 फिर अपने साए से
लिपट के सो जाना
फिजाओं में उड़ना
उड़ते-उड़ते खो जाना

हथेलियों पर बर्फ जमाने का
निरर्थक प्रयास करना
जो दीखता नहीं
उसका आभास करना

अच्छा लगता है कभी-कभी!
-रेखा राजवंशी 

1 comment:

  1. सचमुच अच्छा लगा आपकी कविता पढ़कर.

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