Thursday, November 20, 2014

ऑस्ट्रेलिया रंगेंगे- रेखा राजवंशी

आकाश, चाँद, सूरज सब कुछ हुआ हमारा
ऑज़ी शहर का मौसम लगने लगा है प्यारा 
 
काला, सफ़ेद, भूरा हर रंग सज रहा है
अपना तिरंगा लेकिन कुछ अलग जंच रहा है  

होटल में शेफ बने या हम बने टैक्सी ड्राइवर
न शर्म की किसी में इंजिनियर या क्लीनर 

पाई हैं नौकरियां मेहनत से पढ़ के हमने
आई टी हो या मेडिसिन आगे बढ़े हैं सबमें 

ले आए हम वतन की खुशबू में लिपटी बातें 
बटर चिकन तंदूरी चिकन, अब हर किसी को भाते

कान्हा की बांसुरी के सुर सजे डिजरी डू में   
गंगा है मरी रवर, अल्लाह हर इक सू में

कंगारूओं की दुनिया सबको रिझा रही है
यूरेनयम के बिक्री भारत को भा रही है

बॉलीवुड और क्रिकेट ने ऐसा चलाया जादू
हर दिल हुआ दीवाना, हर कोई है बेकाबू

चन्दन की महक लेकर, आती हैं जब हवाएं
लगता है माँ कहीं से, देती हमें दुआएं

होली, दीवाली क्रिसमस मिलकर मना रहे हैं
योग और मैडिटेशन सबको सिखा रहे हैं


अपने नए रंगों से ऑस्ट्रेलिया रंगेंगे
इतिहास सफलता का मिलकर नया रचेंगे

ऑस्ट्रेलिया में भारत के प्रधानमंत्री -http://hindi.webdunia.com/international-hindi-news/narendra-modi-australia-visit-114111900043_1.html

-रेखा राजवंशी, सिडनी
http://hindi.webdunia.com/international-hindi-news/modi-in-australia-114111800007_5.html

17 नवम्बर 2014, सिडनी के प्रवासी भारतीयों, विद्यार्थियों और सभी साउथ एशियन देशों के लिए एक गर्व का दिन था। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी का भाषण सुनने बीस हज़ार से भी अधिक संख्या में लोग आल्फोंस एरिना में एकत्रित हुए।

बहुत से ऑस्ट्रेलियन भी मोदी जी को सुनने के लिए उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल के बाहर ढोल नगाड़े बज रहे थे, रंगारंग कार्यक्रम हो रहे थे और लोग लाइनों में लग कर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे।जब प्रधानमंत्री मोदी मंच पर आए, तो लोगों ने मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारों के साथ अत्यंत जोश से उनका स्वागत किया। एक वृद्ध कार्टूनिस्ट रमेश चन्द्र, जिन्हें कैंसर है, को भी मोदी से मिलने का वसर दिया गया, क्योंकि एक टी वी चैनल पर उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने की हार्दिक इच्छा व्यक्त की थी। भारतीय, स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिआ और लोगों से खचखच भरे हॉल में प्रधानमंत्री ने भाषण शुरू किया।

मुख्य भाषण के पहले हाई कमीशन ने समुदाय के चार सौ गणमान्य लोगों को मोदी जी के साथ मिलने के लिए बुलाया था। उस समय मुख्य हॉल में लोगों के लिए एक घंटे का सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहा था, इस रंगारंग कार्यक्रम में भारत के अनेकों राज्यों के नृत्य और गीत सम्मिलित थे। उन्होंने विवेकानंद के उदाहरण के साथ भाषण का प्रारम्भ किया और जिन मुख्य बिन्दुओं पर बात की उनमें थे स्वच्छ भारत अभियान, गरीबों के लिए छब्बीस जनवरी तक बैंक अकाउंट खोलना, भारत से टीचिंग और नर्सिंग का निर्यात, रेल उद्योग में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट का आमंत्रण, चार ऐसे विश्वविद्यालयों का निर्माण, जिसमें लोगों को रेलवे के लिए प्रशिक्षण दिया जा सके, भारत में सुलभ शौचालयों का निर्माण आदि। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों के लिए ओ सी आई और पी आई ओ कार्ड की जगह एक कार्ड इशू किया जाएगा। इसके अलावा 'वीसा ऑन अराइवल' की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। अब पहले की तरह पासपोर्ट के लिए पुलिस आइडेंफिकेशन के लिए थाने नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने ये भी कहा सिडनी में शीघ्र एक सांस्कृतिक सेंटर बनाया जाएगा जाएगा। लोगों की करतल ध्वनि और शोर के साथ उन्होंने अपने भाषण का समापन किया।

कैनबरा

सिडनी में ऐतिहासिक भाषण के बाद 18 नवंबर 2014 की सुबह के प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा पहुंचे। वहां उन्होंने ऑस्ट्रेलियन और भारतीय समुदाय के गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित किया। मोदी ने यह भाषण अच्छी अंग्रेजी में देकर सबको सुखद आश्चर्य में डाल दिया। इससे पहले लोग सोचते थे कि मोदी अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल सकते। 
भाषण में मोदी ने ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्तों को मजबूत बनाने और पार्टनर्स के रूप में देश की अर्थव्यवथा में प्रगति लाने की बात की। भारत और ऑस्ट्रेलिया कुछ बातों में एक समान हैं, जैसे क्रिकेट, हॉकी, योग और लोकतांत्रिक व्यवस्था। ऑस्ट्रेलियाई इतिहास में भारतीय समुदाय के लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संसद में भाषण देते समय मोदी ने कहा कि भविष्य में ऑस्ट्रेलिया के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छ एनर्जी प्रदान करने के कई अवसर हैं। भविष्य में दोनों देशों के मध्य अच्छे व्यावसायिक संबंध स्थापित हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने विश्व में बढ़ते आतंकवाद पर भी बात की और कहा कि सभी छोटे-बड़े राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए। उनके भाषणों की मुख्य बात थी एक हास्यात्मक पुत, जिसके छीटें संसद में लोगों को हंसाते भी रहे।
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपनी बहुसांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है और इस विविधता में 4,50,000 भारतीय भी आज सम्मिलित हैं। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में उभर रहा है, भारत एक बौद्धिक शक्ति है और अब भविष्य में आर्थिक शक्ति भी बन जाएगा। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। 


मेलबोर्न 
बिजनेस लीडर्स को बुलाया : मंगलवार सुबह 18 नवंबर 2014 को कैनबरा में संसद को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अपनी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के अंतिम चरण में मेलबोर्न पहुंचे। विक्टोरिया के गवर्नर एलेक्स शेर्नोव ने उन्हें और बिजनेस लीडर्स को गवर्नमेंट हाउस में आमंत्रित किया।
यह कार्यक्रम ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख संस्था AIBC ऑस्ट्रेलिया इंडिया बिजनेस काउंसिल के सौजन्य से किया गया था। प्रधानमंत्री के पहले ऑस्ट्रेलिया के टॉप व्यवसाइयों से मिले, फिर उन्होंने साढ़े चार सौ बिज़नेस लीडर्स को अंग्रेजी में संबोधित किया। 
भाषण के दौरान ऑस्ट्रेलिया की बिजनेस कम्युनिटी से भारत में निवेश करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों में कैसे भारतीय व्यवसाइयों ने खनन उद्योग में निवेश किया है। अब तक ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय बाजार में कुछ चीजों जैसे कोयला, स्वर्ण और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश किया है, पर भारतीय बाजार बहुत बड़ा है और बहुत संभावनाएं हैं।
सरकार हर क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। अच्छे बंदरगाहों की और इंटरलिंक यातायात ट्रेन, बसों, हाईवे व अच्छी सड़कों की व्यवस्था की जा रही है। गांव में भी ब्रॉडबैंड पहुंचाने का प्रयास चल रहा है। विकास और शिक्षा के प्रबंधों में तेजी लाई जा रही है।
3 D's का उल्लेख करते हुए उन्होंने डेमोक्रेसी, डिमांड और डेमोग्राफी को महत्वपूर्ण बताया। अंत में प्रधानमंत्री ने यह आशा व्यक्त की कि 2 देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ होंगे और व्यावसायिक आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। 

Saturday, November 1, 2014

ख्वाब


मैंने ख्वाब बहुत देखे थे 
कुछ सच थे, कुछ अनदेखे थे



कुछ पुड़िया में बंद पड़े थे 
कुछ गुड़िया के साथ जुड़े थे 
कुछ उड़ते फिरते तितली से 
कुछ छोटे, कुछ बहुत बड़े थे 

कुछ रंगीन बटन लगते थे 
झूले से भावन लगते थे 
सांझ जले चूल्हे की खुशबू 
जैसे वो पावन लगते थे 

कुछ गिर जाते आंसू बन कर 
जैसे बहती बर्फ पिघलकर 
कभी झिझकते, कभी सिसकते 
कभी ललकते, मचल-मचल कर 

कुछ माँ का आँचल लगते थे 
पापा का संबल लगते थे 
मुश्किल की तपती गर्मी में  
बारिश का बादल लगते थे 



जाने कब मैं बड़ी हो गई 
लड़की मैं फुलझड़ी हो गई 
माँ की चिंता, पिता का बोझा
दोराहे पर खड़ी हो गई 




छोड़ किताबों के सपनों को 
तोड़ के रिश्तों को, अपनों को  
मैं साजन के द्वार आ गई
खुशियों का संसार पा गई

जब बच्चों को पाल रही थी
माँ की ममता साल रही थी 
उनके ऊपर मैं थी मरती
तब भी सपने देखा करती

कुछ सपने तब गुब्बारे से,
उड़ते-उड़ते कहीं खो गए
कुछ सपने बच्चों के जीवन
से जुड़कर के पूर्ण हो गए

\
मैं अब भी सपने बुनती हूँ
बिखरी कलियों को चुनती हूँ
लोगों से जब भी मिलती हूँ
उनकी व्यथा कथा सुनती हूँ

अब मेरे सपने कहते हैं
दुनिया में एक क्रांति आए
भय, आतंक, युद्ध मिट जाए
सबके मन में शांति छाए

आदर्शों की बात नहीं हैं 
सबके मन की बात यही है
सच तो ये है मित्रों सारी
खुशियों की सौगात यही है

आओ ऐसे ख़्वाब सजाएं
दुनिया को फिर स्वर्ग बनाएं
कुछ तो सपने होंगे पूरे
क्या शिकवा कुछ रहे अधूरे

 -रेखा राजवंशी