Monday, June 25, 2012

 
दोस्तों,  मेरी ये दो कविताएं उन ख़ास बच्चों के नाम है, जिनके साथ मैं काम करती हूँ, जिन्हें हाइपर एक्टिव और ऑटिस्टिक  कहा जाता है, जो अक्सर विद्यालय की भीड़ में अपने सपनों को लिए गुमनाम हो जाते हैं। 

कैंडी फ्लॉस 



वो छोटी बच्ची
जो कैंडी फ्लॉस  खा रही है
कोई अनसुलझी गुत्थी  सुलझा रही है।

गुलाबी रंग से रंगे हाथों से
तरह तरह की मुद्राएँ बनाती है
कभी कैंडी फ्लॉस  सी ख़ुशी में फूल जाती है
कभी चिपचिपाते चेहरे को पोंछना भूल जाती है
सात साल की ये बच्ची जाने क्या बुदबुदाती है।
उसकी कोई बात तुम्हें समझ नहीं आती है।

तो तुम खीझ जाते हो
और उसे हाइपर एक्टिव  बताते  हो।
लड़की सपनों से खेलती है
रिटलिन की बड़ी खुराक झेलती है
और ढूंढती रहती है
कितने अनकहे सवालों के जवाब
कभी कैंडी में, कभी खिलौनों में और
कभी स्कूल की किताबों में।
..........

2 comments:

  1. सच कहा आपने, इतनी सहनशीलता हममें कहाँ! :(

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