Sunday, June 24, 2012


तिनके की तलाश 

एक तिनका हाथ में पकड़े
वो बादलों की ओर ताकता रहा
बादल के पीछे छिपा सूरज
पसीने पोंछता रहा
और छोटा लड़का
जाने क्या खोजता रहा।
विद्यालय की घंटी बजी
वो जैसे सोते से जागा
सर्राटे से क्लास की ओर भागा।
पर तब तक....
तिनका बदल गया था,
टीचर की डांट में।
ज़िन्दगी गुजरने लगी,
यूं ही काट छांट में।
बच्चा अब बड़ा है
शादी की तैयारी है
पर उसकी सूनी आँखों में
तिनके की तलाश
आज भी जारी है।
....
-रेखा राजवंशी

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