आपसी रिश्तों के पीछे भी कई अनुबंध हैं।
-दोस्त बन दुश्मन मिले किसका भरोसा कीजिये
मित्र अपनी सांस पर भी अब यहाँ प्रतिबन्ध हैं ।
- तोड़ औरों के घरौंदे घर बसा बैठे हैं लोग
फिर शिकायत कर रहे क्यों टूटते सम्बन्ध हैं।
-दूसरों पर पाँव रखकर चढ़ रहे हैं सीढ़ियां
और कहते हैं उसूलों के बहुत पाबन्द हैं।
-दिन ज़रा अच्छे हुए तो आसमां छूने लगे
अब गरीबों के लिए घरबार उनके बंद हैं।
-रेखा राजवंशी
रेखा जी इसी का नाम दुनिया है । यह शेर पसन्द आया-
ReplyDelete-दिन ज़रा अच्छे हुए तो आसमां छूने लगे
अब गरीबों के लिए घरबार उनके बंद हैं।
-दिन ज़रा अच्छे हुए तो आसमां छूने लगे
ReplyDeleteअब गरीबों के लिए घरबार उनके बंद हैं। bahut sundar
Prabhudayal Shrivastava
अब गरीबों के लिए घरबार उनके लए बंद हैं
ReplyDeleteबहुत सुंदर झकझोर