Friday, June 24, 2011

सीख लिया



रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया
अश्कों की बारिश में भी हंसना मुस्काना सीख लिया


सावन की रिमझिम हो या फिर पतझड़ के वीराने हों
टूटे ख़्वाब पुराने हों या फिर मदमस्त तराने हों
जो भी मिले प्यार से सबको गले लगाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया


अपने गम को क्या देखें जब दुनिया ही दीवानी है
कितने मासूमों के घर में उलझी हुई कहानी है
उजड़े हुए दयारों में इक दिया जलाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया


तुम गिनते थे हीरे-मोती, या संपर्क अमीरों के
बहुत बुरे लगते थे तुमको आंसू, दर्द फकीरों के
उनके  चिथड़ों पर मैंने पैबंद लगाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया


-रेखा राजवंशी

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