रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया
अश्कों की बारिश में भी हंसना मुस्काना सीख लिया
सावन की रिमझिम हो या फिर पतझड़ के वीराने हों
टूटे ख़्वाब पुराने हों या फिर मदमस्त तराने हों
जो भी मिले प्यार से सबको गले लगाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया
अपने गम को क्या देखें जब दुनिया ही दीवानी है
कितने मासूमों के घर में उलझी हुई कहानी है
उजड़े हुए दयारों में इक दिया जलाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया
तुम गिनते थे हीरे-मोती, या संपर्क अमीरों के
बहुत बुरे लगते थे तुमको आंसू, दर्द फकीरों के
उनके चिथड़ों पर मैंने पैबंद लगाना सीख लिया
रातों की तन्हाई में अब दिल बहलाना सीख लिया
-रेखा राजवंशी