कल रात खबर आई
माँ अब नहीं रही
सारे बंधन तोड़कर
सारे लगाव छोड़कर
वो अब चली गई ।
माँ जब नहीं रही
तो याद आती हैं उसकी बातें
उसके सुनाये किस्से, कहानी
कविताएं, मन्त्र और श्लोक
जो याद थे उसको जबानी ।
माँ अब नहीं रही, तो याद आते हैं
माँ के बनाए, बेसन के लड्डू,
मठरी और अचार
दीवाली की गुझिया,
होली के कांजी बड़े
पूर्णमासी का पंचामृत
तीज त्योहार ।
माँ के दिए लड्डू गोपाल
मंदिर में बैठे-बैठे
जाने क्यों मुस्कुराते हैं
और उन्हें नहलाती,
कपड़े पहनाती
भोग लगाती,
भजन गुनगुनाती
माँ की याद दिलाते हैं ।
माँ अब नहीं है
तो याद आती हैं
माँ की अनगिन बातें
कितनी सूनी लगती हैं
विदेश में ये रातें ।
माँ जो चली गई
तो खाली हो गया मित्र,
मन का एक कोना
इतना सरल नहीं है
कंगारूओं के देश में
माँ को यों खोना ।
तो खाली हो गया मित्र,
मन का एक कोना
इतना सरल नहीं है
कंगारूओं के देश में
माँ को यों खोना ।
2007
रेखा जी, मातृ-दिवस पर आपकी यह कविता मां के प्रति आपकी भावनाओं का पवित्र उदगार ही है… मैंने भी मातृ दिवस पर अपने ब्लॉग 'सृजन-यात्रा' पर एक ग़ज़ल कही है- मां पर, समय मिले तो देखें और पढ़ें- लिंक है- www.srijanyatra.blogspot.com
ReplyDeleteMAA KO BADEE SHIDDAT SE AAPNE YAAD KIYA HAI.
ReplyDeleteKAVITA MAN KO BHARPOOR CHHOOTEE HAI.