घास पर बिखरे हुए
जैकेरेंडा के नीले बैंगनी फूल
जब भी नज़र आते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
मेरी कार के बोनट पर
खिड़की के शीशे से झांकते हैं
हवा के झोके से पल में उड़ जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
अलस्सुबह टहलते हुए
मंद हवा से जब सर पर झड़ते हैं
ईश्वर का आशीष बन जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
बच्चों की हथेलियों में
जाने कितने अफ़साने कहते हैं
जाने कितनी नज़्मे बन जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
- रेखा राजवंशी
सिडनी
जैकेरेंडा के नीले बैंगनी फूल
जब भी नज़र आते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
रंगीन पेंटिंग की तरह
धरती से आसमान को छूते
यूँ ही अनायास खिलखिलाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
धरती से आसमान को छूते
यूँ ही अनायास खिलखिलाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
खिड़की के शीशे से झांकते हैं
हवा के झोके से पल में उड़ जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
अलस्सुबह टहलते हुए
मंद हवा से जब सर पर झड़ते हैं
ईश्वर का आशीष बन जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
बच्चों की हथेलियों में
जाने कितने अफ़साने कहते हैं
जाने कितनी नज़्मे बन जाते हैं
तुम्हारी याद दिलाते हैं
- रेखा राजवंशी
सिडनी
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