Thursday, March 5, 2015

हो री होरी आई



हो री होरी आई हिय हुलस हुलस जाए,
राधे रानी रावरे के रंग रंग राती हैं
..
सर-सर सर से चुनरिया सरक जाए
गोरी गोरे गलों पे गुलाल सकुचाती हैं
..
सांवरे सलोने सुर बांसुरी का तेरा सुन
तन-मन भूल बावरी हुई जाती हैं
..
कोई कहु कहे कान्हा आए, कान्हा आए सखि,
लाज से सिमट झट घुंघटा गिराती हैं
..
भर पिचकारी कान्हा ने जो मारी भीगी सारी,
सारी भीगी राधा, कान्हा मय हुई जाती हैं
..
-रेखा राजवंशी

No comments:

Post a Comment