Saturday, March 7, 2015

बेटियां- रेखा राजवंशी



 सारे जग की शान बेटियां, घर-घर का सम्मान बेटियां
करुणा, दया निधान बेटियां, ईश्वर की संतान बेटियां
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जब होती हैं नन्हीं बच्ची, तितली जैसी प्यारी अच्छी
ठुमक -२ कर ये चलती हैं, घर भर में रौनक करती हैं
हंसी ख़ुशी की खान बेटियां, हर दुःख से अनजान बेटियां



 राजकुंवर एक दिन आएगा, और ब्याह कर ले जाएगा
 दुनिया नई बसाएंगी वो, बाबुल को तरसाएंगी वो
 दो दिन की मेहमान बेटियां, माँ बाबा की प्राण बेटियां
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बेटी है हर घर का गहना, बेटी को अब पति गृह रहना
सुख-दुःख में है साथ निभाना, मुश्किल लगता माँ घर आना
घर की हैं पहचान बेटियां, आन-बान और शान बेटियां
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घर पर जब विपदा आती है, बेटी दुर्गा बन जाती है
दुर्दिन में लक्ष्मी बन जाती, सरस्वती सी विद्या लाती
वेदों का हैं गान बेटियां, होती बहुत महान बेटियां



माँ का फ़र्ज़ निभाती हैं ये, घर-परिवार चलाती हैं ये
खाना रोज़ खिलाती हैं ये, और कमा के लाती हैं ये
जीवन की मुस्कान बेटियां, दुनिया पर एहसान बेटियां
 ..

बेटी मात्र शरीर नहीं हैं, बस लैला और हीर नहीं है
उस पर अत्याचार न करना, देखो बलात्कार न करना
नहीं कोई सामान बेटियां, अपनी बहन समान बेटियां
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भ्रूण में कन्या को न मारो, जुए में उसको कभी न हारो
विधवाओं को न धिक्कारो, बस बेटी की नज़र उतारो
पुरखों का वरदान बेटियां, करती हैं बलिदान बेटियां
सारे जग की शान बेटियां, घर-घर का सम्मान बेटियां
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रेखा राजवंशी-सिडनी ऑस्ट्रेलिया  


Thursday, March 5, 2015

हो री होरी आई



हो री होरी आई हिय हुलस हुलस जाए,
राधे रानी रावरे के रंग रंग राती हैं
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सर-सर सर से चुनरिया सरक जाए
गोरी गोरे गलों पे गुलाल सकुचाती हैं
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सांवरे सलोने सुर बांसुरी का तेरा सुन
तन-मन भूल बावरी हुई जाती हैं
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कोई कहु कहे कान्हा आए, कान्हा आए सखि,
लाज से सिमट झट घुंघटा गिराती हैं
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भर पिचकारी कान्हा ने जो मारी भीगी सारी,
सारी भीगी राधा, कान्हा मय हुई जाती हैं
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-रेखा राजवंशी