Saturday, November 10, 2012

प्रिय मित्रों, दीपावली की शुभकामनाएं


आशा है आप इस कार्यक्रम का आनंद उठाएंगे.

Sunday, November 4, 2012

इक दीप जलाए बैठे हैं


कुछ ज़ख्म छिपाए बैठे हैं
कुछ दर्द दबाए बैठे हैं
..
सूखे फूलों की खुशबू में
कुछ ख़्वाब सजाए बैठे हैं
..
वो शायद वापिस आ जाएं
खुद को समझाए बैठे हैं
..
ये दिल है संगोखिश्त नहीं
क्यों गम ये लगाए बैठे हैं
..
इन बेगानों की बस्ती में
क्या बीन बजाए बैठे हैं
..
अंधियारा डस लेगा मन को
इक दीप जलाए बैठे हैं
....
रेखा राजवंशी