Sunday, July 29, 2012

मेरे कुछ नए शेर




1.      ख़्वाब किसके हंसी जले होंगे
अब जो हर ओर धुंआ
उठता
है
........
2.    तुम जो आए तो रौशनी आई
वर्ना
कटती रही अँधेरे में 
...... 
3.    तेरे आने पे अजब आलम है
आँख कहती है जुबाँ चुप सी है
...... 
4    जब भी देखो वो चले आते हैं
    भरते ज़ख्मों को दुखाने के लिए
...... 
5.    इस कदर दर्द ने मजबूर किया
वर्ना हम दर पे तेरे न आते 
...... 
6.    किन गुनाहों की तुम सजा दोगे
हंसने वाले को फिर
 रुला दोगे
...... 
7.    तुम जो आए तो रौशनी आई
वर्ना जीते रहे अँधेरे में
...... 
8.    तेरे गजरे के मोंगरे की महक
रात मुश्किल से कटेगी मेरी
...... 
9.  तेरे हाथों में भरे ख्वाबों ने
कुछ सितारे नए बना डाले
...... 
10.  जुगनू कितने निकल पड़े होंगे
तेरे रस्ते में रौशनी के लिए
...... 
11.  चल चलें दूर कि दुनिया वाले
बात कोई नई बना लेंगे
...... 
        

       रेखा राजवंशी
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
  

सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
 

2 comments:

  1. "तेरे हाथों में भरे ख्वाबों ने
    कुछ सितारे नए बना डाले!"
    वाह! रेखा जी अंदाजे बयां है अच्छा है आपका !सभी शेर दिल में उतर गए सच !

    डॉ सरस्वती माथुर

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