This blog has my Hindi poems, articles and stories, mainly based on my migrant experiences in Australia. इस ब्लॉग में मेरी साहित्यिक रचनाएं हैं, आशा है सुधी पाठक पढ़ कर विचार व्यक्त करेंगे।
Sunday, November 6, 2011
Thursday, November 3, 2011
दर्द के पैबंद
आपसी रिश्तों के पीछे भी कई अनुबंध हैं।
-दोस्त बन दुश्मन मिले किसका भरोसा कीजिये
मित्र अपनी सांस पर भी अब यहाँ प्रतिबन्ध हैं ।
- तोड़ औरों के घरौंदे घर बसा बैठे हैं लोग
फिर शिकायत कर रहे क्यों टूटते सम्बन्ध हैं।
-दूसरों पर पाँव रखकर चढ़ रहे हैं सीढ़ियां
और कहते हैं उसूलों के बहुत पाबन्द हैं।
-दिन ज़रा अच्छे हुए तो आसमां छूने लगे
अब गरीबों के लिए घरबार उनके बंद हैं।
-रेखा राजवंशी
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