Sunday, November 6, 2011

Thursday, November 3, 2011

badlaav


दर्द के पैबंद

मखमली चादर के नीचे दर्द के पैबंद हैं
आपसी रिश्तों के पीछे भी कई अनुबंध हैं।

-दोस्त बन दुश्मन मिले किसका भरोसा कीजिये
मित्र अपनी सांस पर भी अब यहाँ प्रतिबन्ध हैं ।

- तोड़ औरों के घरौंदे घर बसा बैठे हैं लोग
फिर शिकायत कर रहे क्यों टूटते सम्बन्ध हैं।

-दूसरों पर पाँव रखकर चढ़ रहे हैं सीढ़ियां 
और कहते हैं उसूलों के बहुत पाबन्द हैं।

-दिन ज़रा अच्छे हुए तो आसमां छूने लगे
अब गरीबों के लिए घरबार उनके बंद हैं। 

-रेखा राजवंशी