This blog has my Hindi poems, articles and stories, mainly based on my migrant experiences in Australia. इस ब्लॉग में मेरी साहित्यिक रचनाएं हैं, आशा है सुधी पाठक पढ़ कर विचार व्यक्त करेंगे।
Monday, September 21, 2020
Tuesday, September 1, 2020
बासंती धूप
खिली नई बासंती धूप
मौसम ने बदला है रूप
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जाड़े ने धीरे से बंद किए दरवाज़े ...
फूलों के नए रंग हर क्यारी में साजे
सबको भाया ये स्वरूप
खिली नई बासंती धूप
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मन हुआ तरंगित जब, गूंजा बसंत राग
नव पल्लव, नव सौरभ, बिखरा गंधित पराग
रिक्त हुए अंधियारे कूप
खिली नई बासंती धूप
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पंछी चहके चहके, बगिया महके महके
फिर प्रेमी युगलों के, मन हैं बहके बहके
बिखराए सूरज ने लूप*
खिली नई बासंती धूप
- रेखा
लूप= coronal loops in the sun’s atmosphere
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