Saturday, February 20, 2016

चाँद रोता रहा - रेखा राजवंशी



चाँद रोता रहा न जाने क्यों 
दर्द होता रहा न जाने क्यों 


मेरी गलियों का एक दीवाना 
आज सोता रहा न जाने क्यों 
 

चाँद के पैरहन को देख कोई
दाग धोता रहा न जाने क्यों


याद में फिर से अश्क की लड़ियाँ
वो पिरोता रहा न जाने क्यों


घर बनाने की ख्वाहिशें लेकर
बोझ ढोता रहा न जाने क्यों 


रोटियों के, गरीब का बच्चा
ख़्वाब बोता रहा न जाने क्यों 

-  रेखा राजवंशी