दर्द होता रहा न जाने क्यों
मेरी गलियों का एक दीवाना
आज सोता रहा न जाने क्यों
चाँद के पैरहन को देख कोई
दाग धोता रहा न जाने क्यों
याद में फिर से अश्क की लड़ियाँ
वो पिरोता रहा न जाने क्यों
घर बनाने की ख्वाहिशें लेकर
बोझ ढोता रहा न जाने क्यों
रोटियों के, गरीब का बच्चा
ख़्वाब बोता रहा न जाने क्यों
- रेखा राजवंशी