हमने भी रौशनी से क्या रिश्ते बना लिए
लोगों ने अपने हाथ में पत्थर उठा लिए
मैखाने तलक पहुंचे, लब के करीब लाए
साकी ने सामने से प्याले हटा लिए
यादें मेरे बचपन की, जिसमें बसी हुईं थीं
उस घर में अजनबी ने, ठिकाने बना लिए
न कोई नया नगमा, न ही कोई अफ़साना
जज़्बात सारे अपने, दिल में छिपा लिए
किसको भला दिखाएँ, गमगीन ज़िंदगानी
अपनों ने मेरे बनते, मुकद्दर उठा लिए
- रेखा राजवंशी