Sunday, November 1, 2015

ग़ज़ल - बच्चे सी लहर


एक बच्चे सी लहर आई है
तेरी यादों की सहर लाई है

वो ज़ियादा ही हंसा करता है
दिल में उसके कहीं तन्हाई है


जी रहा है जो गैर की खातिर 
उसके आंसू में भी सच्चाई है 
  
ये समंदर उछल रहा है जो
चांद से उसकी शनासाई है 


बीते लम्हों को मांगने आया
वो तो आशिक नहीं सौदाई है


करते जो गैर का चर्चा सबसे
कम नहीं उनकी भी रुसवाई है  

और पत्थर इसे नहीं मारो
ये दीवाना नहीं,  शैदाई है

              

Saturday, October 3, 2015

मेरी नई ग़ज़ल



हमने भी रौशनी से क्या रिश्ते बना लिए
लोगों ने अपने हाथ में पत्थर उठा लिए


मैखाने तलक पहुंचे, लब के करीब लाए
साकी ने सामने से प्याले हटा लिए


यादें मेरे बचपन की, जिसमें बसी हुईं थीं
उस घर में अजनबी ने, ठिकाने बना लिए


न कोई नया नगमा, न ही कोई अफ़साना
जज़्बात सारे अपने, दिल में छिपा लिए


किसको भला दिखाएँ, गमगीन ज़िंदगानी
अपनों ने मेरे बनते, मुकद्दर उठा लिए



          - रेखा राजवंशी

Sunday, May 10, 2015

कि माँ की याद फिर आई

कि माँ की याद फिर आई 
कि फिर चहका है मन आँगन 
कि मन की शुष्क मिट्टी में 
बरस उट्ठा कोई सावन 
कि फिर से मोगरे महके
कि लौट आया मेरा बचपन!


दीवाली की वो फुलझड़ियाँ
या तेरे हाथ की गुझियाँ

वो करवाचौथ की थाली
अहोई गुलगुलों वाली
न जाने कितने अफ़साने
सुनाने लग गया ये मन

कि मेरे फर्स्ट आने की
फ़िकर में रात भर जगना
नज़र बट्टू लगा कर
नौकरी की प्रार्थना करना 
दुआओं में बरसता है 
अभी तक प्यार का चन्दन!

फिर मेरा ब्याह कर देना
पराए घर विदा करना
कि मेरी खैरियत हर वक्त
चिट्ठी से पता करना
न अपना दुःख बताना
झेलना हर बात पत्थर बन!

मेरा परदेस में रहना
तेरा चुप रह के सब सहना 
कि फिर इक दिन खबर आना
मेरा कुछ भी न कर पाना 
कि तेरा यूँ चले जाना

झटक कर प्यार के बंधन!

कि माँ की याद फिर आई 

महक उट्ठा है मन आँगन!


Wednesday, April 15, 2015

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं, 
कौन है जो कि परेशान नहीं

जिसके दामन में हों खुशियाँ-खुशियाँ, 
ऐसा मिलता कोई इंसान नहीं 

लेके दिल में जो सकूँ रहते हैं, 
उनको भी बख्शते तूफ़ान नहीं  

बन के सूरज जो खिला करते हैं, 
रात के साए से अनजान नहीं 

ग़म की स्याही उड़ेलते हैं जो, 
साफ़ उनके भी गिरेबान नहीं 

किससे अब उनकी शिकायत करिये, 
दोस्त अपने हैं, वो हैवान नहीं 

ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं, 
कौन है जो कि परेशान नहीं
- रेखा राजवंशी 

Saturday, March 7, 2015

बेटियां- रेखा राजवंशी



 सारे जग की शान बेटियां, घर-घर का सम्मान बेटियां
करुणा, दया निधान बेटियां, ईश्वर की संतान बेटियां
 ..
जब होती हैं नन्हीं बच्ची, तितली जैसी प्यारी अच्छी
ठुमक -२ कर ये चलती हैं, घर भर में रौनक करती हैं
हंसी ख़ुशी की खान बेटियां, हर दुःख से अनजान बेटियां



 राजकुंवर एक दिन आएगा, और ब्याह कर ले जाएगा
 दुनिया नई बसाएंगी वो, बाबुल को तरसाएंगी वो
 दो दिन की मेहमान बेटियां, माँ बाबा की प्राण बेटियां
 ..

बेटी है हर घर का गहना, बेटी को अब पति गृह रहना
सुख-दुःख में है साथ निभाना, मुश्किल लगता माँ घर आना
घर की हैं पहचान बेटियां, आन-बान और शान बेटियां
 ..



घर पर जब विपदा आती है, बेटी दुर्गा बन जाती है
दुर्दिन में लक्ष्मी बन जाती, सरस्वती सी विद्या लाती
वेदों का हैं गान बेटियां, होती बहुत महान बेटियां



माँ का फ़र्ज़ निभाती हैं ये, घर-परिवार चलाती हैं ये
खाना रोज़ खिलाती हैं ये, और कमा के लाती हैं ये
जीवन की मुस्कान बेटियां, दुनिया पर एहसान बेटियां
 ..

बेटी मात्र शरीर नहीं हैं, बस लैला और हीर नहीं है
उस पर अत्याचार न करना, देखो बलात्कार न करना
नहीं कोई सामान बेटियां, अपनी बहन समान बेटियां
....


भ्रूण में कन्या को न मारो, जुए में उसको कभी न हारो
विधवाओं को न धिक्कारो, बस बेटी की नज़र उतारो
पुरखों का वरदान बेटियां, करती हैं बलिदान बेटियां
सारे जग की शान बेटियां, घर-घर का सम्मान बेटियां
..


रेखा राजवंशी-सिडनी ऑस्ट्रेलिया