१.
मैं थी, माँ थी, चाँद था,
मैं हंसती तो चाँद खिलखिलाता,
मैं रोती तो मुझको चिढ़ाता,
माँ के तकिये पर मोगरे के फूल सा,
कभी खिलता, कभी मुरझाता,
माँ सुनाती रहती कोई नई कहानी,
कि मैं सो जाती और चाँद खो जाता
२.
मैं कुछ बड़ी हुई, चाँद मुस्कुराया,
मेरे साथ ऊँच-नीच खेलने लगा,
हार और जीत के दंश झेलने लगा,
कि कभी मैं पीछा करती चाँद का,
कि कभी वो पीछे आता,
कभी बादलों में लुक-छिप जाता,
उसे ढूंढने के लिए मैं कुछ दूर जाती,
कि माँ की आवाज़ आती
'माना करो, मेरा कहना,
अंदर आओ कि ठीक नहीं है
लड़कियों का यूँ बाहर रहना,
कि मैं अंदर आती और चाँद सो जाता
३.
ओ चाँद, अब मैं बाहर नहीं आ सकती,
रात को तुमसे बतिया नहीं सकती,
माँ कहती है अब मैं बड़ी हूँ,
भले अपने पैरों पे खड़ी हूँ,
अच्छा लगता है जब लोग मुझे चाँद कहते हैं,
और माँ नज़रबट्टू लगाती है,
उसके चेहरे पे चिंता नज़र आती है,
और मैं खिड़की से देखती हूँ, तुम्हे आते-जाते,
कि रात का काजल बिखर जाता है,
चाँद का रूप निखर जाता है
४.
एक चांदनी रात में
मुझे तुम मिले,
मन के फूल खिले,
तुमने कहा कि मेरा चाँद
आसमाँ के चाँद से बेहतर है,
हम तुम साथ हों तो
कितना हसीन सफ़र है,
चाँद ने सुना तो मुस्कुराया,
धीरे से मेरे कान में बुदबुदाया,
आज के चाँद को पकड़ लो,
बाहों में जकड़ लो,
आकाश में उग आए तारक हज़ार
और मन में खिल उठे, जाने कितने हरसिंगार।
५.
चाँद, मैं खुशगवार मौसम,
लाया है कैसी, बहार मौसम,
तुम, मैं और चाँद मौसम,
तुमको पाया, तो चाँद गुनगुनाया,
सब कुछ अच्छा, सब कुछ भाया,
रेशम का जैसे, है तार मौसम,
मैं तुम्हारी, तुम मेरा प्यार मौसम,
चाँद लाया ये कैसी बहार मौसम
६.
मैं और चाँद इंतज़ार में थे कि तुम आओगे,
अपने साथ खुशियों का पिटारा लाओगे,
कुछ झुनझुने, कुछ खिलौने बिस्तर पर सजाओगे,
धीरे-२ रात ने दामन फैलाया,
न कोई फोन, न संदेसा आया,
मेरा मन डरने लगा,
दुविधा से भरने लगा,
चाँद मरने लगा,
और तुम्हारी खबर का
इंतिज़ार करने लगा।
मैं चाँद और तन्हाई,
कि तुम्हारी खबर आई,
तुम दंगे में फंस गए,
शहर की भीड़ में धंस गए,
और चले गए अनंत यात्रा पर,
सूख गया मन निर्झर,
मैं और चाँद रोते रहे,
याद के दरख़्त बोते रहे,
कि चाँद ने पुकारा,
धीरे से पुचकारा,
कि डूबते मन को
मिला कुछ सहारा!
८.
दुनिया में रौनक है, मेले हैं,
मैं और चाँद अब अकेले हैं,
मन भीतर ही भीतर मरता है,
दिल हर आहट से डरता है
कि अचानक,
कुछ बदला सा नज़र आता है
चाँद मेरी कोख में कुलमुलाता है,
तुम, जाने कब चाँद बन जाते हो
कितनी यादें, कितना प्यार लाते हो।
मैं इंतज़ार करने लगती हूँ
तुम्हारे आने का!
-रेखा राजवंशी