Thursday, August 15, 2013

झंडे में लिपटी, अनगिन यादें





भारत के झंडे में लिपटी, अनगिन यादें आईं हैं
माँ की ममता, लाड़ पिता का, जाने क्या-२ लाई हैं   

इसमें बंद शहीदों के बलिदानों की गौरव गाथा
आज़ादी की मीठी खुशबू, नई रवानी लाई  है

बीता बचपन इसमें है, भूले बिसरे अफसाने हैं 
चरखा, मित्र, पतंगें, टीचर,  बंटती हुई मिठाई है  

कुछ जोशीले नारे भी हैं, कुछ बेबाक तराने हैं
गांधी, सुभाष और भगतसिंह की, क़ुरबानी रंग लाई है

खट्टी अमिया का अचार और पूरी-आलू की सुगंध है
आज़ादी की स्वर्णिम बेला सबके मन को भाई है  

रेखा राजवंशी, 
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया