Wednesday, May 25, 2011

Another Aboriginal Story "The Coming of a Warrior"


Another Aboriginal Story "The Coming of a Warrior" 

एक योद्धा का जन्म 

एक छोटा लड़का था, जिसका नाम बंगाना था रात में, जब उसके पिता शिका करके वापस आते थे, वे अलाव के पास बैठ जाते थे और बंगाना को अपने शिकार के किस्से सुनाते थे। बाद में, बंगाना जब सोने जाता था तो एक बहादुर योद्धा के रूप में अपनी कल्पना करता था।
कल्पना करते करते जब वह सोता, तो देर हो जाती और  सुबह चिड़ियों के चिल्लाने से उसकी आँख खुल जाती। तब बंगाना नीचे नदी तक जाता और धीरे से पानी में जाकर जंगली बतख या जल मुर्गी को पकड़ने की कोशिश करता। वह अपनी माँ और अन्य औरतों को पानी में खिले कमल के फूलों के बीच चलते हुए देख सकता था, और साथ ही उन्हें नदी में खाना ढूँढ़ते हुए भी देख सकता था। बंगाना ने कुछ जल मुर्गियों को पकड़ा और उन्हें अपनी माँ के पास ले गया अपनी माँ के बटोरे हुए खाने के  सामान में रख दिया। माँ की मदद करते हुए उसे अपने ऊपर गर्व हुआ और वह दुबारा सपने देखने लगा।
उसने सोचा, "अगर मैं बड़ा हो सकता और एक वीर योद्धा बन पाता, तो मैं भी अपने पिता की तरह बहादुर शिकारी बन जाता।"
जब बंगाना बैठ कर सपने देख रहा था, उसे लगा कोई उसे बुला रहा है।
", बंगाना!"
वो बंगाना का दोस्त था, बंगाना अपने दोस्त के साथ खेलने के लिए भाग गया।
शाम को जब दूर पश्चिम में सूर्य  डूबने लगा, बंगाना ने देखा कि दूर, ऊपर लाल रंग की धूल उड़ रही है, और उन  लोगों की तरफ रही है। वो समझ गया कि तेज आंधी आने वाली है  आंधी से बचने के लिए उसने सबसे जल्दी से किसी आड़ में छिपने के लिए कहा। जब धूल भरी आंधी रुक गई, तो सब अपने-अपने कामों पर वापस चले गए।
रात से पहले बंगाना को अपने काम पूरे करने थे, अलाव के लिए लकड़ी इकट्ठी करनी थी। काम ख़त्म करके वह  शाम को अपने पिता के शिकार से आने का इंतज़ार करने लगा।
जैसे-जैसे अन्धेरा छाने लगा, बंगाना शान्ति से बैठ गया, और पिता की वीरता की कहानियां सुनने को तैयार हो गया। बंगाना ने आग ठीक की  जिससे  वहां खूब सारे लाल कोयले तैयार रहें ताकि उसके पिता जो भी शिकार लाएं लाएं, उसे पकाया जा सके। जब छोटा बंगाना और उसकी माँ को अलाव के पास बैठे बहुत देर हो गई, तो  बंगाना ने अपनी माँ के चेहरे पर चिंता की झलक देखी, उसे लगा कि कहीं कुछ ठीक नहीं है, बंगाना जल्दी से अपनी माँ के पास गया, और उससे बोला,
"माँ, चिंता मत करो, मैं जाऊँगा और पिता जी को ढूढ़ लाऊंगा। शायद उन्हें अपने शिकार को लाने के लिए मदद चाहिए होगी।"
बंगाना ने अपना छोटा भाला और बुंडी उठाई और रात के अँधेरे में चला गया। जब वह जंगल में आगे गया, तो उसे जंगल में डरावनी आवाजें सुनाई दीं और छोटा बंगाना डर गया, लेकिन वो चलता गया क्योंकि  उसे पता था कि अगर उसे अपने पिता को ढूँढना है तो चलते जाना है। जब उसने पीछे देखा, उसे अलाव की रोशनी बहुत दूर धुंधली सी दिखाई दी। उसने सोचा  कि अगर उसे अपने पिता की तरह शिकारी बनना है तो उसे बहादुर बनना चाहिए।
थोड़ी देर के बाद, बंगाना ने आराम करने के लिए एक सूखे हुए गोंद के पेड़ के नीचे एक सुरक्षित जगह खोजी बंगाना बैठ गया और जल्दी ही उसे नींद गई। दूसरे दिन सुबह, बंगाना की नींद एक डिंगो (ऑस्ट्रेलिया का जंगली कुत्ता जो भेड़िया जैसा दिखता है और खतरनाक है) के चिल्लाने की आवाज़ से टूटी।
बंगाना डर के मारे उछल कर खड़ा हुआ, और उसे शीघ्र ही समझ में आया
कि वह सो गया था वह कितनी देर तक सोया, यह उसे पता नहीं था। वह जंगल में और अन्दर गया, और रास्ते  में उसने एक मरा पोसम (एक जानवर) देखाजो भाले से बिंधा हुआ था। उसने ध्यान से उसे देखा और पहचान लिया कि पोसम उसके पिता के भाले से मरा था वह मुस्कुराया, उसे पता चल गया  था कि वह सही रास्ते पर था। छोटे बंगाना ने भागना शुरू किया, रास्ते में वह और निशान ढूंढता गया। तब, उसने दूर गुफाएँ देखीं, माना जाता था कि इनमें सपनों वाली आत्माएं रहती थीं। गुफाओं के पास हर जगह एक डरावना माहौल था। डर के मारे बंगाना की गर्दन के पीछे के रोएँ खड़े हो गए। लेकिन  बंगाना को पता था कि अगर उसे अपने पिता को खोजना है तो डरना नहीं बढ़ना होगा, शीघ्र ही वह  गुफाओं के पास पहुंच गया। जब वह पास पहुंचा, तो  उसने ज़मीन पर किसी को पड़ा हुआ देखा, जो उसके पिता थे
उसने कहा "पिताजी, आप ठीक तो हैं ?"
पिता ने बंगाना को देखा और आश्चर्य में पड़ गए
वे बोले  "बंगाना, तुम मुझे बचाने आए हो! शिकार करते हुए मैं गिर पड़ा और मेरा टखना टूट गया, तो मैं चल नहीं सकता था, पर तुमने  मुझे ढूंढ निकाला। अब मैं ठीक हो जाउंगा, तुम एक बहादुर योद्धा हो जो अकेले यहाँ तक आए हो। मेरे छोटे बच्चे बंगाना, तुम अब बच्चे नहीं रहे , एक आदमी बन गए हो, एक योद्धा, और शिकारी भी बन गए हो, मुझे तुम पर गर्व है"
पिता ने बंगाना को गले लगाया और उसका सहारा लेकर घर की तरफ चल पड़े

Translated by Rekha Rajvanshi ( copyright ANA)